विद्यालय छात्रावास एवं मेरा अनुभव

Lalita Kohli

मैंने अपना कार्यकाल वर्ष २०१० में यहाँ प्रारंभ किया और तब से निरंतर उत्तरोत्तर विद्यालय के सर्वांगीं विकास हेतु अपना सम्पूर्ण योगदान देने का हर संभव प्रयास कर रही हूँ| जब मैं अपना पुराना स्कूल छोड़कर यहाँ नियुक्ति पर आई थी तब लगता था किस तरह इतनी बड़ी कक्षा की छात्राओं को अनुशासन में रख पाऊँगी, लेकिन कब इनसे इतनी घुलमिल गई की अपना घर भी इन छात्राओं के बिना आधा अधूरा सा नज़र आता है क्योकि दिन रात इन बालिकाओ के साथ गुजारने से मुझे हर एक के दुःख सुख में भागीदारी निभाने का अवसर प्राप्त होता है | इसलिए मेरी भरसक कोशिश रहती है कि मै इन छात्राओं की मौलिक ज़रूरत, दैनिक समस्याओ, खान-पान, शिक्षा-दीक्षा हर क्षेत्र में अपनी सम्पूर्ण भागीदारी का निर्वहन कर इनके चेहरे पे आयी मुस्कान को बटोरकर इन्हें एक शिक्षिका के कर्मो का अध्याय अर्पित करू ताकि ये गरीब बेटिया आगामी समय में अपने देश के मान मनोबल में वृद्धि कर उन्नति के मार्ग में अग्रसर रहे |
मेरी हार्दिक इच्छा ये रहती है कि मेरी बेटियां (छात्राए) प्रदेश ही नहीं देश के हर कस्तूरबा गाँधी आवासीय  विद्यालयों में अध्ययनरत  छात्राओं से सबसे आगे हो, और इसी उम्मीद के साथ मै चौबीस घंटे अपने विचारो का मंथन कर इन्हें हर सुविधा उपलब्ध कराने की चेष्टा करती हूँ |   जिससे इनकी जिंदगी संवरे और ये भविष्य में अपने गरीब परिवारों को समाज की मुख्य धारा से जोड़कर अपना मार्ग प्रसस्त करे |
कस्तूरबा गाँधी आवासीय  विद्यालय, सितारगंज में कार्यरत रहने का मेरा यह  तीसरा वर्ष   है, मैंने    इन तीन वर्षो में सिर्फ बालिकाओ पर ही फोकस नहीं किया बल्कि उनसे भी बहुत कुछ सिखने को मिला | मुझे जिंदगी के ऐसे    सुनहरे लम्हे मिले जिनमे आर्थिक तंगी तो है लेकिन मुस्कराहटो में जो निस्वार्थता देखने को मिली है वह बेजोड़ है | आज इस आवासीय परिसर में कई छात्राए मुझे माँ कहकर पुकारती है,  तो मुझे बहुत अच्छा लगता है | कई छात्राए बिन माँ-बाप के है जिन्हें मै माँ सा आलिंगन देकर उन्हें उनकी माँ का उनके आस-पास होने का आभास दिलाने की चेष्टा करती हूँ, सच मानिये तो कई ऐसे पल भी होते है जब इनकी बाते मेरी पलकों  की पोर भिगो देती है | इनके   साथ व्यतीत होने वाला एक एक पल को जीने का जितना सुकून मिलता है उतना अपनी पारिवारिक जिंदगी में भी नहीं मिलता |  क्योकि यह विद्यालय परिवार जिसके साथ रात दिन मेरा रहना   होता है उसकी हर समस्याओ का निदान करना अपना कर्तव्य समझकर पूरा करना जहा सरकारी आदेशो का अक्षररूप अनुपालन होता है वही इसे मै स्वच्छ मन मस्तिष्क से अपनी सेवा भी समझती हूँ |

मुझे नहीं पता कि अपनी बात में ये बातें गौण है की नहीं लेकिन सच यही है कि आगामी समय में जब कभी भी मुझे अपना ये विद्यालय परिवार छोड़कर अन्यत्र जाना पड़ेगा तब मै किस तरह यह से विदा हो पाऊँगी, बस यही एक सोच डरा देती है, आखिर इन बेटियों ने मुझे इतना प्यार जो दे रखा है | साथ ही मुझे गर्व है ये बेटिया मेरी समस्त कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालय की इज्ज़त, मान-सम्मान बनाये रखने में अपना सम्पूर्ण योगदान दे रही है | मुझे गर्व है कि मेरे जिले के समस्त उच्चाधिकारियों (जिला परियोजना अधिकारी, जिला संवयक, खंड शिक्षा अधिकारी, बी. आर. सी., सी. आर. सी.) का मुझे दिन रात इस विद्यालय के संचालन में हर संभव सहयोग प्राप्त हो रहा है और शायद यही कारण है कि हमारा यह विद्यालय परिवार प्रदेश के चुनिन्दा कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालयों की क्रमांक सूची में सम्मिलित है |

मुझे ख़ुशी है कि मेरे विद्यालय की कार्य प्रणाली से यह अध्ययनरत छात्राओं के अभिभावक खुश है | मुझे उम्मीद ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आगामी वर्षो में भी मुझे प्रदेश व जिला स्तर पर मेरे उच्चाधिकारियों का इसी प्रकार सहयोग प्राप्त होता रहेगा |

 

 

ललिता कोहली 
प्र0 अ0 / वार्डन 
क0 गाँ0 आ0 बा0 विद्यालय 
सितारगंज (उधम  सिंह नगर)